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"कोई मुझे समझें" यह उम्मीद ही दुःख का कारण बन जाती है।
मैं खुद जानता हूं कि मैं क्या हूं!! तो, दुनिया मुझे समझें या ना समझे क्या फर्क पड़ता है।
हम पहचान के लिए नहीं जीते, बस एक मुकाम तक का सफ़र करना चाहते हैं।
जिंदगी से लेकर मौत तक का।
बस इतनी काबिलियत रखते हैं कि,
यह सफ़र कैसा होगा, यह खुद ही तय कर सकें!!!

#selftrust