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मैं एक खूबसूरत ख़्वाब लिख रहा
कोई खूबसूरत शाम तेरे नाम लिख रहा

आंखों के चमकते सितारे कह रहे
हम अपनी ज़िंदगी तेरे नाम लिख रहे

जो कह नहीं पाया जुबां से आज तक
वो अपने ख्याल तेरे ही नाम लिख रहा

बात दिल से दिल की ही तो थी हमेशा
शायद रोज तुझे याद करके लिख रहा

व्यथित मनोवेगों का अफसाना है ये
क्यों सुबह-शाम तुझे याद कर रहा

पुरानी यादों के जो दर्द पड़े थे कहीं
शायद फिर से मेरा नसीब लिख रहा

आज फिर तन्हाइयों से गिरा बेचैन मन
याद कर करके मिलने को तड़फ रहा

आज भी एक तमन्ना दिल में अधूरी सी है
कुछ पल तेरे साथ होगा कभी तो मिलेंगे