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गर्वित करता, ताव उगलती मूंछों का अंदाज
मातृभूमी पर, मर मिटने का जिनका आगाज
प्रतिज्ञा, निष्ठा, बलिदान, देशभक्ति के बसंत
मन-वचन-काय नमन, आपको "चंद्रशेखर आजाद"
धन्य हुई माता "जगरानी देवी" की गोदी
पिता "सीताराम" घर हुई, खुशियों की होली
23 जुलाई, झूमा था गांव "भंवरा"
जन्मा जहां यह "लाल" सुनहरा
जयंती मनाते, मिल कर हम सारे आज
मन-वचन-काय नमन, आपको "चंद्रशेखर आजाद"
"प्रयागराज पार्क" बना रणभूमी
अंग्रेजों ने बनाई जिसकी मिट्टी खूनी
धोखे से घेरा "बसंती चोला"
किसी "गद्दार" ने जब "भेद" खोला
आज भी गूंज रही, स्वयं को मारी, गोली की आवाज
मन-वचन-काय नमन, आपको "चंद्रशेखर आजाद"
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