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कौन समझे क्या रिश्ता है हमारा
कुछ ना होकर भी तू सब कुछ है हमारा
ना कोई बंधन, ना उम्मीदो का दामन,
ना कुछ पाने की चाहत,ना खोने का गम
कुछ तो है जो हमे खीचता है दोबारा,
यूँ ख्यालो मे रहता है एहसास तुम्हारा,
दुनिया के नज़र से परे,एक अनाम सा
रिश्ता है हमारा💞