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आज एक सुबह फिर हुई है
आज ज़िंदगी ने एक बार फिर आँखें अलसाइ सी खोली है
ओस की बूँदें पत्तों पर घासों पर गिरी हुईं हैं
सूरज की मद्धम किरणों की रोशनी में
वो मोती से चमक रहे हैं
पंछीयों की कू कू मन को मोह रहे हैं
सब कुछ रोज की तरह ही हो रहा है
पर बदले मन के एहसास के साथ
आज का दिन कुछ अलग सा प्रतीत हो रहा है
मन में थोड़ी खुशी थोड़े उमंग सा महसूस हो रहा है
ज़िंदगी आज मानो जैसे फिर मुझ पर मुस्कुरा रही है
और ये प्रकृति मुस्कुराते हुए जैसे उसका साथ दे रही हो..
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