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कई दर्द ऐसे होते
कोई अपना नहीं लगता
बस एक गुस्सा
अनकहा सा


अगर लिखने का सहारा ना होता
तो हिम्मत शायद नहीं रहती
लोगों के दुःख जानकर हिम्मत टूट जाती थी संभालना मुश्किल
हम किसी को जाने ना जाने उनका दुःख महसूस होता ही है खासकर जब high सेंसिटिव हो
अपने आप को संभालना पड़ता है उसमे कभी कभी बहुत समय लग जाता है

अब ठीक लगता पर जब भी किसी को दुःख मे देखू बहुत भावुक लगता

कुछ लोग किसी की पोस्ट पर दुःख मे ढांढस बंधाने की बजाय फोर्मोलिटी करते वो दर्द समझते नहीं
उन्हें पोस्ट पर कमेन्ट हिम्मत बढ़ाने वाले चाहिए होते
सभी की लाइफ अलग होती