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वो जिसके बग़ैर तस्सवुर की भी तस्वीर तक बन नही सकती.....
वो जिसके बग़ैर एक पल की भी हैसियत लग नही सकती....
वो जिसके बग़ैर जिंदगी सही ढंग से हसीन सांचे ने ढल नही सकती....
वो जिसके बग़ैर कोई भी रौनक मुकम्मल हो नही सकती...
वो जिसके बग़ैर ममता भी अपने कमाल ए उरुज तक
पहुंच नही सकती ....
वो जिसके बग़ैर हयात भी मुकम्मल कभी भी हो नहीं सकती ...
वो जिसके बग़ैर तेरी मेरी आमद भी इस दुनिया में हो नहीं सकती...
वो जिसके बग़ैर जिंदगी खु़द खुद पर नाज़ तक कर नही सकती ....
वो जिसके बग़ैर जमाल ए कुदरत की अक्कासी पता लग नही सकती....
वो जिसके बग़ैर रिश्तों की एहमियत कभी भी पता चल नहीं सकती...
वो जिसके बग़ैर कोई भी रंग ओ बू ए जिंदगी पता चल नहीं सकती...
वो जिसके बग़ैर ग़ज़ल पर भी मुस्कुराहट तक आ नही
सकती ...
वो जिसके बग़ैर एहसास की दुनिया हकीकत में बदल नही सकती ...
मैं अख़्तर ए नाचीज़ एक दिन में कैसे उसको क़ैद कर दूं मेरी कलम ऐसी जसारत हरगिज़ कर नही सकती ..
सुनो खुशियों का संसार है औरत के जिसके बिना एक पल को भी तकदीर मुकम्मल लिख नही सकती ....
#हिन्दी
@deepa das