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// #ह्रदय_उत्स //

ये गर्म पानी का प्याला मेरे ह्रदय बसे उत्स सा,
एक अविरल- निर्झर तपते भावों का सोता सा;
मैं उसमें घोल रहा हूं स्नेह करुणा प्रेम अनोखा,
पीड़ा दुख भाप बन उड़े नयन मन का झरोखा।

अयन अजिर इन भावनाओं सुगंध से महकता,
बसा अपनत्व एहसास तन- मन स्पंदन करता;
चित्त चित जीवन हर क्षण मुझमें तू बना रहता,
भौतिक दूरी में अतल प्रेम तेरा स्मरण कराता।