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/#क्षण_क्षण_जीवन_कीमती /
क्षण क्षण जीवन का कीमती,
हार - जीत से काहे कि प्रीति;
खोया - पाया मन की भ्रमति,
जीवन मुख्य मूल गोचर दृष्टि।
धर्म- कर्म जीवन मूल्य थाती,
मानव की न कोई ओर जाती;
मिट जाती है हर एक ख्याति,
मनुष्यता मोक्ष दिला सकती।
इत उत जग मत व्यर्थ भटक,
दृष्टि -लक्ष्य पर रख एक टक;
मन तनिक ना पायेगा भटक,
छाप दे छोड़ कटक से अटक।
कण- कण प्रकृति ब्रह्म प्राण,
कण- कण सृष्टि में ब्रह्म ज्ञान;
प्रकृतिप्रेम प्रार्थना हो पहचान,
हर जीव जाती के हो सम्मान।
जन जीवन जन्मभूमि उत्थान,
मात्रभूमि का रहे प्रथम स्थान;
तरनी सा अविरल बह प्रस्थान,
जीवन तब तरणा रहे ये ध्यान।
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