...

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ना घर का पता मेरा, ना मंजिल दूर कहीं दिख रही है
खुद को जिंदा रखने को मेरी, सांसे रोज बिक रही है

दिन का ठिकाना नहीं मेरा तुझको भला शाम कैसे दूं
कड़वा नीम का पेड़ हूं 'जोकर', मैं भला आम कैसे दूं
🤡

#WritcoQuote #goodmorning #reality #twoliner #Feelings