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// #चाँद_निकला //

आज़ मेरे शहर में चाँद निकला,
मेरा सुदंर सजन श्याम निकला;
गगन पट पूर्णिमा चंद्रमा उकरा,
दूर होकर भी आँख पर छलका।

मधुर चांदनी मृदुल स्पर्श हल्का,
खिला पारिजात महक- दमका;
सुन्दर- सुमन पर जुगनू चमका,
जब मोरे शहर में चाँद निकला।

माथे बिंदिया हल्का हल्का ताप,
अधर लालिमा चित गहरी छाप;
कलाई के कंगना लगाएं अलाप,
झूम झूम झुमके करे खुराफ़ात।

नयन कज्जली ह्रदय खींचे रेख,
नाक - नथ से बंधी जीवन रेख;
गले का हार छेड़े ह्रदय के तार,
रेशमी से गेसू सुंदर गहरा जाल।