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बाद मे सूर्य देव के समझाने पर बजरंग बलि ने मुँह मे से वापस निकाला
जिससे सृष्टी मे फिर उजाला हो गया
बजरंग बलि को सूर्य देव को गुरु बनाकर उनसे शिक्षा लेनी थी
पर सूर्य देव ने कहा वे रुक नहीं सकते उन्हें सूर्य देव की रफ्तार के साथ उड़कर सब ग्रहण करना होगा
सूर्य देव मारूति को बजरंग बलि बनाने लगे
फिर उन्हें अपने जीवन का सार समझ आया श्री राम जी की भक्ति
बचपन मे नटखट होने के कारण ऋषियो ने उनकी शक्ति भूला दी थी कहा की जब भविष्य मे तुम्हें याद दिलाया जाएगा तभी याद आएगा
जब रावण माँ सीता को ले गया था तो तो पता लगाने कोई ऐसा नहीं था जो सागर लांघ कर जा सके
फिर जामवंत जी को बजरंग बलि का ख्याल आया
कहा की अपने बलों को याद करो
बजरंग बलि ने कहा जय श्री राम और विराट रूप मे आ गए
उड़कर
कई तरह की मुश्किलें आयी पर बजरंग बलि को कोई नहीं रोक पाया
बजरंग बलि ने अशोक वाटिका पहुंच कर माँ सीता को प्रणाम करा कहा मेरे प्रभु श्री राम ने आपके लिए आपके लिए मुद्रिका भेजी
मुद्रिका देखकर माँ सीता जी के आंसू शुरू हो गए
उन्होंने अपनी चूड़ामणि दी
बजरंग बलि ने माता भूख लगी है
माँ सीता जी ने राक्षसो ही है यह जगह नीचे गिरे फलों को खाना पेड़ों को मत हाथ लगाना
बजरंग बलि ने पेड़ों से तोड़े फल और कई राक्षसों को निज धाम पहुंचाया
उनकी मुलाकात विभीषण से भी हुई उन्हें बहुत खुशी हुई विभीषण रावण की तरह आसुर नहीं भक्त था
फिर बजरंग बलि को बंधन करके रावण के महल मे ले जाया गया उन्होंने ब्रह्माजी का मान रखा
रावण ने अपने सिपाही को हुकुम दिया आग लगा दो वानर की पूछ मे
जैसे ही आग लगायी
बजरंग बलि ने पूरी लंका मे हाहाकार मचा दिया
फिर समुद्र के पानी मे अपनी पूछ डूबाकर आग शांत करी
बजरंग बलि ने जाते वक़्त माता से आज्ञा ली फिर उड़ चले
जाकर श्री राम को चूड़ामणि दी और लंका मे हुए पूरे वृतांत बताया
फिर हमले की तैयारी होने लगी
पर अब वहां कैसे जाए तो उन्हें समुद्र ने बताया नल नील आपकी मदद करेंगे
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