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// #फ़िर_क्यूं //

सुख और चैन की चाहत हर इन्सान के मन,
फ़िर क्यूं जीवन भर ढूंढता जमीन और धन;
प्रेम और स्नेह की प्यास हर मानुस चितवन,
फ़िर क्यूं प्यास बुझाने को पाना चाहता तन।

आँख मूंद दुनिया में मत बैठ अपनी ही धुन,
जग आँख खोल देख यथार्थ जाग्रत चितवन;
ध्वस्त कर दे मोह माया स्वार्थ के सब बंधन,
धर्म कर्म मोक्ष पथ पाएं पूर्ण स्वतंत्र अंतर्मन।