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ये जो मैंने सुना सही है क्या
चांदनी छत पे आ गई है क्या

धड़कनें मेरी बढ़ रहीं हैं क्यों
वो मेरे पास आ रही है क्या

क्या कहा! बात अब नहीं होगी
फ़िर कोई बात हो गई है क्या

हिचकियां रुक नहीं रहीं मेरी
मां मुझे याद कर रही है क्या

कर रही है दवा असर मुझ पर
मेरे हक़ में दुआ हुई है क्या

कोई तफ़्तीश भी नहीं बैठी
किसी मुफ़्लिस की जाँ गई है क्या

दिल के टुकड़े मिलें जो आख़िर में
नाम इसका ही दिल्लगी है क्या

साथ कोई भी क्यूं नहीं मेरे
यार मुझमें ही कुछ कमी है क्या

दाद क्यूं दे रहे हैं सामे'ईन
मैंने कोई ग़ज़ल कही है क्या

ख़ाक होना है शम्स को भी 'शम्स'
ज़ीस्त का फ़लसफ़ा यही है क्या


बह्र : 2122/1212/22//112

मुफ़्लिस : गरीब
तफ़्तीश : जाँच
सामे'ईन : श्रोता

inspired by Jaun Sir......

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