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सारा जीवन श्रापित श्रापित
हर रिश्ता बेनाम कहो
और मुझको ही छलने के
खातिर मुरली वाले श्याम कहो
प्रश्न बड़ा हैं मौन खड़ा
धरती संताप नहीं देती
यदि धरती मेरी माँ होती
तो मुझको श्राप नहीं देती
खुद दोने में जन्म लिया
मुझको सूत बताते हो
फिर भी तुमको ही पूजा हैं
तुम ही बस सम्मान हुए
अरे रणभूमि में छल
करते हो तुम कैसे भगवान हुए