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// #नित_पा_स्नेह_प्यार //

नित्य जीवन में पा स्नेह - प्यार,
सीने में सिमटा सारा संसार;
जग लागे सुंदर स्वप्न अपरम्पार,
आमोद प्रमोद निर्मलनीर दुलार।

फिर भी जीवन रहे एक इंतज़ार,
मन एक कोना खाली हर बार;
धूप - छांव खेल चले पहर चार,
मन कुछ ढूंढत वन - नगर द्वार।

भेद -अभेद द्वेष भाव ना जाना,
मधुरभाव भर जग अपना माना;
कुटिल बोल नाहि काहेकु ताना,
स्नेह प्रेम दया करुण गुण ज्ञाना।