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/ उम्र का दरिया इच्छाओं का सैलाब /

एक उम्र का दरिया है, इच्छाओं का सैलाब,
सभी को तैर कर जाना है, विचारों की बाढ़;
ह्रदय की रागिनी और सांसों का सुर - राग,
पल पल समय बदलता पग चाल और ताल।

पूछती है समय नांव मुझसे कहां मेरा पड़ाव,
ले चल ऊंची - नीची लहरों के पार मेरे गांव;
प्रकाश फेरी में इससे पहले ढल जाए सांझ,
दूर इंतज़ार में कोई बिछाए बैठा पलक छांव।

पवन की पतवार से कह दो तेज़ चलाये नांव,
पल- पल की इस बेचैनी में टूट रही है, सांस;
पल पल तन मन डस रहा विरह्र विषैला नाग,
जीवन में मुझे पाने है, प्रणय प्रेम पुष्प पराग।

गती और वेग को जीवन के सुर ताल पिरोह,
चित्त चितवन घेरे बैठे ईष्र्या द्वेष मोह गिरोह;
स्नेह-प्रेम-करुणा मोती जीवन माला में पिरो,
सुखी जीवन स्वच्छ - स्वस्थ - शरीर निरोग।

भाग्य का लिखा तभी सफल - फलित होत,
जब लग्न और पुरुषार्थ का नित्य होत योग;
तबहीं नभमंडल नक्षत्र का शुभ शुभ संयोग,
सही समय सब पाएगा ह्रदय न कर वियोग।

एक उम्र का दरिया है, इच्छाओं का सैलाब,
पल- पल चंचल- चितवन नित रहेगा बेताब;
ह्रदय की रागिनी और सांसों का सुर - राग,
निश्छल - ह्रदय मत पाल मोह स्वार्थ बैराग।