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बचपन में एक धारावाहिक काफी प्रिय हुआ करता था हमे"शक्तिमान"। उसमें हमेशा सुनता था अंधेरा कायम रहे,तब यही लगता था ये अंधेरा है क्या,ये अंधेरे के सिपाही कौन हैं,ये सूर्यवंशी कौन हैं ,तेज पुंज क्या है । काफी सवाल मन में उठते थे,,फिर एक ही जवाब बालमन देता था,,मैं अंधेरे के विरुद्ध रहूंगा ।
आज जब जिंदगी और वक्त आगे बढ़ चुके तो वो बचपन के सारे सवाल खुद ही हल होते जा रहे । अंधेरा आज हर ओर दिख रहा,,अंधेरे के सिपहसालार खुद में ही छुपे दिखते, सूर्यवंशी मदर टेरेसा, कलाम,जैसे कुछ कुछ लोग में दिखते,और वो तेज़ पुंज दिखता धूमिल होती इंसानियत में । तब सोचता वो वर्षों पहले काल्पनिक धारावाहिक आज सच क्यों लग रहा ,क्यों किलविश और उसके अनुयायी हमारे आस पास दिखते,,क्यों अंधकार जीत रहा ,,और सच कहीं खोता जा रहा । इस काल्पनिक दुनिया में हम जकड़ते से जा रहे । वो धारावाहिक आज सच होता दिख रहा