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अब पुराने हो गए थे पत्ते साहेब,
कदीम महत्ता न समझी साखाओं ने...
गिराने की फ़िराक में तूफ़ान खड़े थे,
इल्ज़ाम उड़ाने का लिया हवाओं ने...।
✍️ अरूण लाल "अरूण"
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