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कहने को तो बस एक साधारण सा किस्सा हूं,
दिल की किताब में अधूरा सा हिस्सा हूं।
गुज़रे ज़माने की कहानियों में बसा हूं,
कभी ख्वाबों का तो कभी हकीकत का हिस्सा हूं।
हर एक शाम की तनहाई में सिमटा हूं,
आँखों में बसे आंसुओं का बहता हिस्सा हूं।
तूने जो दिया था वो तोहफा नहीं भूला,
तेरी यादों के गलियारे का अब भी हिस्सा हूं।
कहने को तो बस एक साधारण सा किस्सा हूं,
दिल की किताब में अधूरा सा हिस्सा हूं।
@Shivwriter #shivwriter