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चल रहा है मुसाफ़िर
जीवन सफर में
दर्द का सामान बांधे
चल पडा है,
अन्तिम सफर पर
मौत का तुफान बांधे।।
पग निरन्तर बढ रहे हैं
मंजिल मगर घटती नहीं।
साॅस निरन्तर घट रही है
मौत मगर आती नहीं।।
पाँव मेरे कांपने लगे हैं
बढने लगी है निराशा।
छा रही है मुख पर उदासी
शेष नही जीने की आशा।।
💔💔