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Not perfect,
धूल में लिपटी
कुछ मैली सी
कुचैली सी
किंतु मिलावट नहीं उसमें
मैं महज़ मैं हूँ
स्वभाव में अपने
प्रभाव से परे
दुनिया के।
भीतर अंतर में यह मैं हूँ
still raw
yet absolute
वस्त्र धारी हूँ बाहर से
निवस्त्र मन मेरा बिना लाज के
वह इतनी मासूम हैं
के नग्न घूम सकती हैं जगत के आकाश में
मन के कई परतों के चोले पहनने की वो आदि नहीं
मग़र नाकाबों से भरी दुनियाँ में
कैसे निवस्त्र-मन घूम पाए
भारी नहीं तो हल्की सी परत एक चादर की औढ़नी ही होतीं
नकाब नहीं मग़र फ़िर भी थोड़ा पर्दे में तो रहना होता
मग़र कभी हवा के झोंके से जो पर्दा उठता
मुझे अपनी याद दिला जाता।
निवस्त्र मासूम मन मेरा
सभ्य नहीं
ज़रा असभ्य ही हैं
नहीं तराशा हुआ नहीं
वो महज़ जो हैं वही वो हैं
मैला कुचैला मासूम
दुनियाँ के पैमाने में
मापदंड में समाता नहीं
मासूम अंतर मन मेरा
अलग ही दुनियाँ इसकी
बड़ी ही ग्रामीण सी
देसी
शिष्ट सामाज की प्रगति से
ये ज़रा परे हैं अब भी
नकाब पहनने आज भी आते नहीं इसे
इसीलिए चुप्पी और एकांत ही इसे अधिक प्रिय हैं।
यूँ तो अलहड सी
चुलबुली
खुले आकाश में पंख फैलाती सी
अपनी ही मस्ती में
मस्ती खोर
बेपरवाह सी हस्ती बहुत खिलखिलाती
नादान सी बेवजह मुस्कुराती😊
अलहड चुलबुली वह
वही आज भी
किंतु सभय नकाबों के जगत में इसके भोलेपन की जगह कहां हैं
तब
अनंत काल का सोया अनुभवी बुड्ढा जागता हैं
अपनी नींद खराब कर बरसों की
वह जागता और उसे तुरंत अंदर घूसा लेता,
कमरे में बंद कर देता
मिलने नहीं देता संसार से उसे
जो खेल खेलना हैं अपने कमरे में खेलों
यह जगत तुम्हारे लिए नहीं
कहता हैं बुढ़ा
अनंत काल का अनुभवी बुढ़ा
उमर हो चुकी हैं इसकी अनंत
निर्मोही! कोई चाह नहीं
मग़र कोई राह भी नहीं
उसे ही दौडम भाग करना पड़ता हैं
ज़िम्मेदारी वश
उस नन्हें बच्चे को भीतर कर
सारे role वही play कर लेता हैं.
बच्चे को नकाब पेहन्ना नहीं आता,
या उसके size का कोई नका़ब बना ही नहीं
और बूढ़े को नका़ब की दरकार ही नहीं
वह इतना अनुभवी इतना expert हैं।
#Dlove