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प्रकाश -पवन- पंछी मानुष चलत एक पथ पर सबहीं,
प्रयाग राज त्रिवेणी संगम अमृत जलधारा सब एकहीं,
जात -पात- पंथ रंग- भेद गंगा मैया जानत नहीं कोई,
नर-नारी राजा-रंक सुधि-मुनि एक समान निर्मल होई।