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तुम जो मेरे हुए दूर अंधेरे हुए..
जिंदगी को मुक़म्मल जहाँ मिल गया..
इश्क़ की आस में यूँ भटकता रहा..
मेरी भटकन को वाज़िब मकां मिल गया..

तुम बिना जिंदगी क्या भला जिंदगी..
सांस लेना भी मुश्किल था लगता मुझे..
तुम बिना ये नजारे भी वीरान थे..
तुम बिना कोई पल था न जचता मुझे..

मेरे जज़्बात में तुम जो शामिल हुए..
मुफ़लिसी को मेरी आशियाँ मिल गया..
तुम जो मेरे हुए दूर अंधेरे हुए..
जिंदगी को मुक़म्मल जहाँ मिल गया..

तुमसे ही मेरी दुनिया है रौशन हुई..
तुम बिना तो भयावह अंधेरा ही था..
क्यों न होती मेरी तुम मेरी प्रीत हो..
अंततः प्रेम तुम्हारा तो मेरा ही था..

संग तुम्हारा मिला प्रेम का गुल खिला..
प्यार को प्यार का एक निशां मिल गया..
तुम जो मेरे हुए दूर अंधेरे हुए..
जिंदगी को मुक़म्मल जहाँ मिल गया..
insta- lalit_shabdvanshi