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// #श्रंगार //
स्त्री मन - भावन सजना- संवरना,
चितवन सुन्दरता प्रकृति नज़राना;
पुलकित अंतर्मन उपवन सुहाना,
प्रफुल्ल ह्रदय ढूंढते श्रंगार बहाना।
तितली सा उड़कर चंचला इतराना,
दिल धड़कन का बन जाए फ़साना;
नयन पलक पर सपनों को सजाना,
हर ह्रदय को बना लेता है, दिवाना।
(Pic Source- Pinterest)