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अधिकतर वर्किंग माता पिता बस काम और घर यही सोचते बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं होता
वो बस अपने काम करने को सर्वोपरि मानते

बच्चा पहले तो सोचते पेरेंट्स आ जाएंगे तो भटकता नहीं
पर जब पेरेंट्स का ध्यान बच्चे पर होता ही नहीं
बच्चा भटकने लगता उल्टी सीधी किताबों पर उसकी नजर जाने लगती
पढ़ने वाला बच्चा टीचर की डांट सुनने लगता
पेरेंट्स कहते तुम्हें हुआ क्या है ? पहले तो पढ़ने मे बहुत मन लगता था पर उन्हें उन्हें पता होता ये उन्हीं की गलती होती वो तो बाल मन होता जो देखेगा वो दिमाग ने अंकित होगा
किताबे सही गलत के मायने हर एक के लिए अलग है
पेरेंट्स अगर बच्चों के सवालों के जवाब देने लग जाये उसे चुप करने और गन्दा सवाल कहने की बजाय उसकी उम्र देखकर जवाब दे तो बच्चे को लगता मुझे जवाब देने वाले मेरे पेरेंट्स है तो सही जानकारी देते
तो बच्चे गलत की तरफ आकर्षित नहीं होता
मोबाइल मे सभी app को पासवर्ड लगाकर रखना चाहिए जो बच्चे के काम के नहीं