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तेरे इन्तजार में........
बिलखती आंखों में नमी और
सदैव प्रार्थना में नतमस्तक शीश के बीच
समुपस्थित रहता है एक मरूस्थल और एक द्वीप

प्रार्थना के तपते मरूस्थल पर निरंतर चलते हुए
मिलन अभिलाषा के पांव के रिसते हुए छालो से पीर

और फिर टूट जाता है धैर्य का प्याला
फूट पड़ती है हिज्र की एक आवेगित नदी
जलमग्न हो जाता है सब कुछ.........

बस नही डूबती......ये मिलन की अभिलाषा
किसी ताल, नदी, जलाशय, समुंद्र, झील में
तैरती रहती है किसी सूखे तृण की भांति ,
और पहुंच जाती है उस प्रेम के द्वीप पर❤️

समारंभ कही से भी हो मिलन अभिलाषा की यात्रा
प्रेम तेरा दिक्सूचक की तरह राह दिखा
तेरी और ले ही जाता है ............