3 Reads
" यूं मिलना हैं कि तुझसे बिछड़ रहें हैं हम ,
तेरी फ़ुर्क़त की इतनी जो सबब जो आदत नहीं मुझको ,
जो भी आता हैं मिल के ज़ाहिर कर लेता हूं मैं ,
अपनी बसीयत जो तुझपे ज़ाहिर कर लेता हूं मैं. "
--- रबिन्द्र राम
#फ़ुर्क़त #सबब #आदत #ज़ाहिर #बसीयत #ज़ाहिर