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यादों के पिछौरी में तुझे साथ जो बांधा है
तेरे साथ हर प्यार की बाधा को ललकारा है

सच है हर कोई हर पल पास नही होता
बसे हो अंतर्मन में कि है जुदा अहसास नही होता

है अमावस की रात भरा आकाश चारो और
तेरे चेहरे के नूर के आभास से अंधकार नही होता

रूबरू हुए अभी तलक हम कभी भी नही
पर देखा नही कभी तुझे ये आभास नही होता