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1212 /1122 /1212/ 22
हवाएं कसतीं रहीं, पर बहाव ना बदला
पहाड़ मिलते रहे, पर लगाव ना बदला
चले, चले, रुके कैसे कभी कदम मेरे
सिने में जल रहा जो, वो अलाव ना बदला