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गर ऊब जाए मन या घर की याद सताए,
रस्ते मुश्किल मिले या मिले हार,
लोग नीचा दिखाए या मिले मतलबी यार,
शुरुआत क्यों की थी?
याद कर फिर से इक नई शुरुआत करना!
गर फिर भी मन पीछे की ओर खींचें,
तो ना फिर शिकायत वक्त से करना और ना ही दोष किस्मत को देना!
तुमने किया है, तुम कर सकते हो !
मन में ये दीप जलाए चलते रहना।
आएगा वक्त तुम्हारा भी ,दिल में ये आश जगाए रखना।
गर ऊब जाए मन या घर की याद सताए,
रस्ते मुश्किल मिले या मिले हार,
लोग नीचा दिखाए या मिले मतलबी यार,
शुरुआत क्यों की थी?
याद कर फिर से इक नई शुरुआत करना !
गर फिर भी मन पीछे की ओर खींचें,
तो ना फिर शिकायत वक्त से करना और ना ही दोष किस्मत को देना!
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