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इंतजार की शाम में, वो आंखें याद आईं,
रात की तनहाइयों में, वो बातें याद आईं।

आंखों में थी बेकरारी, लबों पर सन्नाटा,
कुछ न कहा, पर उसकी बातें याद आईं।

वो लम्हे जो गुज़रे थे, उनके साथ बिताए,
फूलों सी महकी हुई, वो रातें याद आईं।

हंसते थे खिलखिलाकर, किसी बहाने से,
अब उनकी उदास, हंसी की बातें याद आईं।

वो आंखें जो बयां करती थीं दिल का हाल,
अब उनकी खामोश, वो मुलाकातें याद आईं।

इंतजार का हर पल, अब सदियों सा लगे,
उसके बिना वो प्यारी, वो घड़ियां याद आईं।