...

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हर किसी को 'पूर्णता चाहिए
और प्रिय है साहस
किसी को नही भाती कमीया
और फिर...
हर काई चाहता है उस 'टूटते' तारे का टूटता हुआ देखना बिना जाने के टूट जाता है वो हर किसी की खुशी पूरी करने की नाकाम कोशिश मे¡
और तब किसी को किमत नही होती उस कोशिश की उस कोशिश की ...
क्योकि "यहा" पूर्णता ही माप है पूर्ण अस्तित्व की ।