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// ह्रदय भाव मंचन //

ह्रदय पंखुरी सिमटी भाव सुगन्ध,
सांसो से सरस निकली मंद - मंद;
विचारों के मध्यम अतिरेक प्रसंग,
स्मृति गुलदस्ता समाया परमानन्द।

सूर्य समान स्वरूप कपि चंचल,
निर्मल - भाव धारा चली अंचल;
अन्तर्मन स्मृति मंच कथा मन्चन,
कुसुमित मलय पुष्प तृण कन्चन।