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मेरी ‘माँ ’
उलझाए रखती है वो खुद को ।
‘माँ’ अक्सर मिलती है मुझको ।।
दूध की मलाई में,
कपड़ों की धुलाई में,
मेवे सजाती मिठाई में,
घर की साफ सफाई मे,
फटे–उधड़े की तुरपाई में,
बर्तन से छुड़ाती चिकनाई में,
राह तांकती शाम की तन्हाई में,
अगर यहां नही मिली मुझे तो...
बैठी होगी अपने मन की गहराई में।
प्रभु की भक्ति में लीन डूबा के खुदको ।।
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#vineetapanchal