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भटक रहा एक बैतडा छाया सा,
मुझसे बिछड़ा मेरा एक साया सा;
मायूस- मौन- अनवांछित राया सा,
जर्जर रुखा सूखा अश्वेत काया सा।

ह्रदय निराशा मन ना तनिक आशा,
अधर बिखर गये शब्द मासा मासा;
अक्षर अक्षर बदल गये बोली भाषा,
बदल गयी जीवन सम्पूर्ण परिभाषा।

नित हाथ में आयी घनघोर निराशा,
जीवन से रुठ गये ढ़ोल और ताशा;
बेमोल लागे क्या सोना और कांसा,
मुंह मीठा करन को ना एक बताशा।