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" हम क्यों जुदा हो रहे हैं ऐसे में ,
अभी इतनी ताल्लुकात भी नहीं बिगरी ,
मर जाऊंगा बिछड़ गये जो तुम ,
मुझे अब किसी और को इतनी तर्जी नहीं देनी ."

--- रबिन्द्र राम

#जुदा #ताल्लुकात #बिछड़ #तर्जी