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शब्दार्थ : शाम-ओ-सहर = सुबह शाम * नूर = प्रकाश
शम्स-ओ-क़मर = सूरज चाँद * मंज़र = दृश्य
शोहरा = विज्ञापन * शाज़ी = अद्भुत
आबगीन = बहु मूल्य नगीना * बेरहम = निर्दयी
#सुख़नवर #ग़ज़ल
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शब्दार्थ : शाम-ओ-सहर = सुबह शाम * नूर = प्रकाश
शम्स-ओ-क़मर = सूरज चाँद * मंज़र = दृश्य
शोहरा = विज्ञापन * शाज़ी = अद्भुत
आबगीन = बहु मूल्य नगीना * बेरहम = निर्दयी
#सुख़नवर #ग़ज़ल