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झूठे रिश्ते नाते देखे,
झूठी यारों की बातें
कितनों की कैसी-कैसी
बातें सह गये हैं हम
बिना मतलब हालचाल भी
पूछते नहीं मतलबी से लोग
अपनो के ही द्वारा
रुलाये गये हैं हम
किसी के नहीं,
अपने ही सुख के हैं सब साथी

क्या हुआ, शायद कुछ ज्यादा, कह गये हैं हम ?

मतलबी-युग में अर्थ से ही हैं सब #मित्र और रिश्ते-नाते
इस ठगनी - माया द्वारा भरमाये गये हैं हम

अपने पैमाने पर कभी ख़ुद को भी तो परखें
क्या अपने पैमाने का सही आकलन कर पाये हैं हम ?

हमने किसको कितना पूछा, कितना हमने साथ दिया?
क्या अपने को कभी कटघरे में खड़ा कर पाये हैं हम ?

जिनके के लिए ही अपना सबकुछ खोया, 💔
वो इश्क को भी
दिल बहलाने का सामान
बतलाने लगे है अब

अपनो को मनाते-मनाते,
हो गये अकेले
अपेक्षाओं के कारण ही कितना बिख़र गये हैं हम

कोई कैसे बताये ?
किसके कितने रह गए हैं हम
जब अपनो की ही
उपेक्षा से मर गए हम🙏🏼🤷‍♂️💔💔