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दर्द हमसे कभी बयाँ न हुआ
जल गया दिल मगर धुआँ न हुआ

इक मैं था पागलों सा दौड़ आया
एक तू था कि बे-कराँ न हुआ

बस जताया नहीं मगर अपमान
मुझ को महसूस कब कहाँ न हुआ

मैं तो ख़ुद इस जहाँ में मेहमाँ हूँ
इस लिए घर का मेजबाँ न हुआ

चूम बैठे वो ख़्वाब में आरिज़
ये तो अच्छा हुआ निशाँ न हुआ

कर ही देता हूँ तिफ़्ल सी हरक़त
उम्र के साथ दिल जवाँ न हुआ

ख़ुल्द में तुम ख़ुदा को ढूँढोगे
क्या करोगे वो गर वहाँ न हुआ
@मनमौजी
#gajal #Shayari