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जैसे इंसान जो हो सकता है आज अपने
किसी काबिलियत के आधार या दम पर
नई उपकरणों और ख़ोज के बुनियाद पर
झुठ बोलने की कला में निपुण हो चुका हो
मगर अपने अंतरमन के आईने को तुम कैसे
अस्वीकार कर सकते हो ?
के तुम कौन हो !
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जैसे इंसान जो हो सकता है आज अपने
किसी काबिलियत के आधार या दम पर
नई उपकरणों और ख़ोज के बुनियाद पर
झुठ बोलने की कला में निपुण हो चुका हो
मगर अपने अंतरमन के आईने को तुम कैसे
अस्वीकार कर सकते हो ?
के तुम कौन हो !