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ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
गम ए उल्फ़त में दिल ए नादान पे रोना आया
दिलरुबा के भेजे पैगाम को जो पढ़ा हमने
ख़ुदा के बनाये इंसान पे रोना आया
मिट गई हर शख्सियत उसके आगे भी
उसे याद करके, मोहब्बत तेरे नाम पे रोना आया
ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया।