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२१२२ १२१२ २२/११२
जब से दिल है तेरी पनाहों में
मेरी गिनती है बादशाहों में
फूल गुलशन में न खिले होंगे
ख़्वाब जितने सजे निगाहों में
जिसको करके सुकून मिलता है
इश्क आता है उन गुनाहों में
मुझसे नाराज़ वो बहुत हैं पर
हूँ शुमार उनके खैर ख़्वाहों में
मुझसे मिलने के बाद वो भी क्या
करवटें बदलें ख़्वाब गाहों में
मेरी रातों का किस्सा कह देंगे
चाँद तारे खड़े गवाहों में
तेरी नज़रें करम हुईं मतलब
कुछ असर आया मेरी आहों में
साथ मेरे जो चल रहे हो तुम
दूर तक रौशनी है राहों में
आरज़ू बस 'शशि' की है इतनी
दम निकल जाए तेरी बाहों में
#ghazal 21
#shashiseesnsays
#shayari