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||"आंसू"||

यूँ तो कमज़ोर व्यक्ति का आभूषण कहलाये जाते है ये आंसू,
किंतु क्या ये सच में होते हैं "कमज़ोर व्यक्ति का आभूषण" या
फिर इनके न बहने से व्यक्ति कमज़ोर हो जाता है?
जब तक यह आंसू आँखों के भीतर रहते हैं,
क्या तब ये व्यक्ति को कमज़ोर नहीं कर रहे होते?
जब तक ये भीतर रहते हैं आंसू
ये व्यक्ति को किसी से आँख नहीं मिलाने देते,
ये उसकी सोच पर हावी हो जाते हैं,
उसका मानसिक तनाव बढ़ाते हैं,
उसे तन्हाइयों में ले जाते हैं,
या फिर ले जाते हैं आपको उस तक,
जो आपके सबसे क़रीब होता है,
ताकि ये बह सकें।
और जब ये आँखों की लक्ष्मण रेखा को तोड़ते हुए बाहर आते हैं,
तन्हाई में किसी तकिये पर या किसी के कंधे पर,
तो बहा ले जाते हैं अपने साथ
आपके मन की कमज़ोरी को
ये "शक्तिशाली आँसू"।
तन्हाई में बहकर ये आपको "आत्मनिर्भर" बना देते हैं और
किसी के कंधे पर बहकर ये आपके संबंध को "प्रगाढ़ता" प्रदान करते हैं।

~प्रशांत शकुन "कातिब"


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