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नयन कोर में ज्यों सतरंगी शाम का मंजर धुल जाए।
प्यासे मन में किसी गीत का अक्षर अक्षर धुल जाए।।
मुझमें ऐसे धुल जाना तुम, महारास की बेला में।
इक मुरली की धुन में जैसे पायल का स्वर धुल जाए।।
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नयन कोर में ज्यों सतरंगी शाम का मंजर धुल जाए।
प्यासे मन में किसी गीत का अक्षर अक्षर धुल जाए।।
मुझमें ऐसे धुल जाना तुम, महारास की बेला में।
इक मुरली की धुन में जैसे पायल का स्वर धुल जाए।।