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नभ में कहीं मौन घुट रही तमस,
चहुं दिशा नभ छाया तम समस;
चिंगारी उठा धुंआ सिमट तमस,
सूर्य लीलने का पाले गुमान बस।

जब भोर जागेगी आरुषि सहर्ष,
नभ से छट जाएगी सारी तमस;
गुमान औंधेमुंह जा गिरेगा फर्श,
दिल बहलाने को न मिलेगा तर्क।

नफ़रत आग पे पड़ जाएगी बर्फ़,
दिल के अरमानों पर पड़ेगी बर्क;
नम पड़ंगे सुलगते तर्कों के तर्क?
पाप का फल भोगना होगा नर्क।

सुलगी नफ़रत हाथ सेकेंगे सब,
अपना कहने वाला न होंगे तब;
पापी कर्म सजाएं भोगेगा जब,
बांटने ना आएगा कोई भी तब।

जान ले जल्द जिंदगी के सबक़,
जगत में जिंदगी जीने के अदब;
प्रकृति से सीखें जिन्दगी- सबब,
क्या भारत चीन रोमा और अरब।

कर्मफल अनुरुप स्वर्ग और नर्क,
ऊपरवाला!
इंसान में नहीं करता कोई फर्क;
दुनिया में यही उचित सच्चा तर्क,
चुन ले नर्क पीड़ा या सुखी स्वर्ग।