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अर्थात- हमें कभी चिंता नहीं करनी चाहिए कयोंकि चिंता चिता के है समान होती है और यदि हम भविष्य की चिंता कि चिता वर्तमान में सजाएंगे तो पूरा जीवन ही शमशान बन जाएगा।