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पूछना चाहता हूं ह्रदय से,
मगर बावरी है, धड़कन ये;
मौन सुनता हूं इन्हें मन से,
महसूस करता हूं स्पंदन से।
चपल चंचला पवन पावनी,
गुंजन स्पंदन ह्रदय बावरी;
मध्यम तृण तृष्णा संवारी,
बैठा सुनता कहानी थारी।
उकरी एक सूरत सांवरी,
सीरत संसार से न्यारी;
चितवन लागे अति प्यारी,
एक सुन्दर स्वप्निल स्वारी।