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" आता है ज़ेहन में जब कोई भी नाम तेरे नाम जैसा ,
समझ नहीं आता ज़ख्म हरे हुए हैं ना हमारी यादें . "

--- रबिन्द्र राम

#ज़ेहन #ज़ख्म #यादें