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हर रात की तन्हाई में, एक चिराग जलता रहा,
उम्मीद की लौ में, हर दर्द पिघलता रहा।

अंधेरों से लड़ाई में, एक रोशनी सजीव रही,
मिटने को तैयार, पर हौंसला अडिग रही।

सुबह की दस्तक ने, अंधेरों को दूर कर दिया,
ऋतु की कहानी में, हर जख्म को भर दिया।

हिम्मत और जज्बे ने, हर चुनौती को हराया,
एक मोमबत्ती ने, अंधेरों में उजाला फैलाया।